नूर आलम खलील अमिनी

नूर आलम खलील अमिनी (18 दिसंबर 1952 – 3 मई 2021) दारुल उलूम देवबंद में एक भारतीय सुन्नी मुस्लिम विद्वान और अरबी भाषा और साहित्य के वरिष्ठ प्रोफेसर थे। उनकी पुस्तक फलस्तीन फी इंतेज़ारे सलाहुद्दीन असम विश्वविद्यालय में डॉक्टरेट अध्ययन का विषय थी और उनकी किताब मिफतुल अरबिया विभिन्न मदरसों में दरस-ए-निज़ामी पाठ्यक्रम का हिस्सा है।

1952 में जन्मे अमिनी दारुल उलूम मऊ, दारुल उलूम देवबंद और मदरसा अमिनिया के पूर्व छात्र थे। उनकी पुस्तकों में वो काहकन की बात, हरफ़े शिरीन, मिफ्ताहुल अरबिया और फलस्तीन फी इंतेज़ारे सलाहुद्दीन आदी शामिल हैं। 3 मई 2021 को देवबंद में उनका निधन हो गया।

जीवनी

मौलाना नूर आलम खलील अमिनी का जन्म 18 दिसंबर 1952 को हुआ था। उनकी शिक्षा मदरसा इमदादिया दरभंगा, दारुल उलूम मऊ और दारुल उलूम देवबंद में हुई थी। 1970 में, वह पारंपरिक दरस-ए-निज़ामी अध्ययन में स्नातक के लिए मदरसा अमिनिया, कश्मीरी गेट चले गए। उनके शिक्षकों में वहीदुज़ ज़मान कैरनवी और सैयद मुहम्मद मियां देवबंदी शामिल हैं।

अमिनी ने दारुल उलूम देवबंद में अरबी साहित्य पढ़ाया और अपनी मासिक अरबी पत्रिका अल-दाई के संपादक के रूप में काम किया। उन्हें 2017 में राष्ट्रपति के सम्मान पत्र से सम्मानित किया गया।

असम विश्वविद्यालय में, अबुल कलाम ने नूर आलम खलील अमिनी के लेखन में फालस्टीन फ़ी इंतेज़ारे सलाहुद्दीन के विशेष संदर्भ में सोशियो-पॉलिटिकल ऐस्पेक्ट्स नामक अपने डॉक्टरल थीसिस को लिखा था।

साहित्यिक कार्य

मासिक अरबी पत्रिका के अलावा, अमिनी के कार्यों में शामिल हैं:

उर्दू

•     वो कोह कान की बात

•     पस-ए-मर्ग-ए-ज़िन्दा

•     सहाबा-ए-रसूल इस्लाम की नज़र माई

•     हरफ़-ए-शिरीन

•     मौजुदा सालेबी सिहुनी जंग

•     क्या इस्लाम पसपा होरा है

अरबी

•    मफतहुल अरबीयह यह पुस्तक विभिन्न मदरसों में दर्स-ए-निज़ामी पाठ्यक्रम में पढ़ाई जाती है

•    फलास्तीन फि इंतेज़ारे सलाहीदीन

•    अल-मुस्लिमो फ़िल-हिंद

•    अल-साहबतु वा मकानतुहुम फ़िल इस्लाम

•    मुजतमाअतुना अल-मुआसिरतो वा अत्तरीक़ो इलल इसलाम

•    अल-दावतुल इसलामिया बैनल अमसे वल यौम

•    माता तकूनल किताबातो मुअस्सिरतुन

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